Wednesday, December 6, 2023
Homeसूर्यकांत त्रिपाठी निरालादो घड़े (कहानी) : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

दो घड़े (कहानी) : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

Do Ghade (Hindi Story) : Suryakant Tripathi Nirala

एक घड़ा मिट्टी का बना था, दूसरा पीतल का। दोनों नदी के किनारे रखे थे। इसी समय नदी में बाढ़ आ गई, बहाव में दोनों घड़े बहते चले। बहुत समय मिट्टी के घड़े ने अपने को पीतलवाले से काफी फासले पर रखना चाहा।
पीतलवाले घड़े ने कहा, ”तुम डरो नहीं दोस्‍त, मैं तुम्‍हें धक्‍के न लगाऊँगा।”
मिट्टीवाले ने जवाब दिया, ”तुम जान-बूझकर मुझे धक्‍के न लगाओगे, सही है; मगर बहाव की वजह से हम दोनों जरूर टकराएँगे। अगर ऐसा हुआ तो तुम्‍हारे बचाने पर भी में तुम्‍हारे धक्‍कों से न बच सकूँगा और मेरे टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे। इसलिए अच्‍छा है कि हम दोनों अलग-अलग रहें।”
जिससे तुम्‍हारा नुकसान हो रहा हो, उससे अलग ही रहना अच्‍छा है, चाहे वह उस समय के लिए तुम्‍हारा दोस्‍त भी क्‍यों न हो।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments