Thursday, November 14, 2024
Homeलोक कथाएँगोवा/कोंकणी लोक कथाएँजब हँसे तो मोती : कोंकणी/गोवा की लोक-कथा

जब हँसे तो मोती : कोंकणी/गोवा की लोक-कथा

Jab Hanse To Moti : Lok-Katha (Goa/Konkani)

गोवा में मडगांव के पास समुद्र के किनारे कोलवा के छोटे से गांव में पेद्रो और एना रहते थे। दोनों एक-दूजे को बहुत प्यार करते थे। पेद्रो और एना बड़े दुखी थे। विवाह के पांच वर्ष के बाद भी उनके कोई संतान नहीं हुई थी। चर्च में हर रविवार को जाकर प्रार्थना करते थे, पर उनकी प्रार्थना शायद यीशु तक पहुंचती नहीं थी।

एना ज़्यादा ही बेचैन रहती थी क्योंकि उसकी सहेलियां और मछुआरों की कौम की बड़ी-बूढ़ी उसे कोसतीं और किसी भी शुभ कार्य में आगे नहीं आने देतीं। तंग आकर एना आत्महत्या के इरादे से समुद्र के किनारे गई। अभी अंधेरा हटा नहीं था। पूरब में थोड़ी-थोड़ी लालिमा दिखाई दे रही थी। किनारे पर कोई नहीं था। एना ने घुटने टेककर प्रार्थना की, “हे यीशु! संतान के बिना मेरा जीवन अधूरा है और कठिन भी। आप मुझ पर कृपा नहीं कर रहे हो। इसलिए मैं अपने जीवन का अंत कर रही हूं। मुझे माफ़ कर देना,” उठकर एना समुद्र में डूबने के लिए जाने लगी। पानी आहिस्ते-आहिस्ते उसके पैर से कमर तक आया। तभी आवाज़ आई, “एना वापस जाओ। आठ दिन तक मां मैरी के आगे आठ मोमबत्तियां जलाकर प्रार्थना करो। तुम्हें संतान प्राप्त होगी।” एना ने इधर-उधर देखा, कोई भी नहीं था। “कौन है? मैं क्यों आपका कहना मानूं?” एना ने पानी में खड़े होकर पूछा।

“मैं समुद्र देवता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि मां मैरी तुम पर मेहरबान होकर तुम्हें संतान देंगी। जाओ बेटी, वापस जाओ। तुम्हारे एक लड़की पैदा होगी, वह मेरी भाषा समझेगी और जब वह हंसेगी उसके मुंह से मोती बरसेंगे ।”

समय पाकर एना ने एक बेटी को जन्म दिया । वह अति सुन्दर थी । मां-बाप बेटी को पाकर बड़े खुश हुए । पर जब मरियम तीन साल की भी नहीं हुई थी कि दो दिन की बीमारी से एना की मृत्यु हो गई।

पेद्रो तो जैसे पागल हो गया। न खाता न पीता। मछली पकड़ने भी नहीं जाता। मरियम की तरफ़ भी ध्यान न देता। पड़ोस की महिलाएं ही उसे समय पर दूध पिलातीं।

कुछ दिन बाद वह शराब पीने लगा। काम तो करता ही नहीं था। शराब के लिए आहिस्ते-आहिस्ते घर की चीजें बेचने लगा। भूखों मरने की नौबत आ गई। मरियम को भूख से बिलखती देख भी उसे तरस नहीं आता। वह समझता, मरियम की वजह से ही उसकी प्यारी एना मर गई, और वह और पीता।

मरियम रोते-रोते उसके पीछे जाती तो उसे समुद्र के किनारे पर कहता “मर जा तू भी। ऐ समुद्र देवता! तूने इसे दिया, तू ही ले जा इसे।” पर समुद्र कैसे ले जाता वह उसे बचाता। उसने कहा, “पेद्रो मरियम को रुलाना नहीं, अगर उसे रुलाओगे तो पछताओगे। पर अगर उसे ख़ुश रखोगे और वह हंसेगी तो मोती बरसेंगे।

“अब तुम ही सोचो और फ़ैसला करो।” पेद्रो सुनकर हैरान हुआ। उसे विश्वास नहीं हो रहा था। उसने सोचा, ‘देखूं तो समुद्र सच बोल रहा है कि नहीं।’ उसने रोती हुई मरियम को गोद में लिया। उसे प्यार किया, कुछ खिलौने दिए। मरियम चुप हो गई। खिलौने देखकर हंसने लगी। उसके हंसते ही मोतियों की बरसात होने लगी। पेद्रो ने फटाफट मोती बटोरे। शराब के लिए पैसों का इंतजाम जो हुआ। अब उसने क़सम खाई कि मरियम को ख़ुश रखेगा। पर उसी समय वह सोच में पड़ गया। अगर मरियम किसी और के सामने हंसी तो मोती उसे मिलेंगे। अब वह मरियम को अपने साथ रखने लगा। मरियम बड़ी होने लगी। दिन पर दिन उसका सुंदर रूप निखरता गया।

उसने अपना घर पक्का बनवाया। मरियम के लिए अच्छे कपड़े बनवाने लगा। घर में खाना भी अच्छा पकने लगा। लोग हैरान थे कि पेद्रो के दिन एकदम कैसे फिर गए। वह लोगों को बताता कि उसने व्यापार प्रारंभ किया है। पर सच कब तक छुपाता? एक दिन घर में काम करने वाली नौकरानी ने चुपके से देख लिया।

पैसों की ज़रुरत पड़ी तो पेद्रो ने मरियम को हंसाने का भरपूर प्रयास किया। उसने मुंह बनाया, उछला-कूदा, नाटक किया। पर फिर भी मरियम नहीं हंसी तब उसे गुदगुदी करके हंसाया। जैसे ही मरियम हंसी तो मोती गिरने लगे। पेद्रो ने उन्हें उठाकर अलमारी में रख दिया।

नौकरानी ने सबको यह बात बताई। अब लोग मरियम का पीछा करते कहते “मरियम हंसो, हंसो” पर मरियम के साथ रहता पेद्रो उनको भगाता। चर्च के पादरी ने एक दिन कहा कि मरियम बड़ी हो गई है। पेद्रो को अच्छा सा लड़का देखकर उसका विवाह कर देना चाहिए। पेद्रो इस पर बहुत बिगड़ा।

“मरियम मेरी बेटी है। मैं उसका विवाह करूं या ना करूं आप कौन होते हो?” पादरी चुप हो गए।

मरियम ने पेद्रो से कहा, “आपने पादरी को ऐसा जवाब देकर अच्छा नहीं किया। वे तो मेरे भले के लिए कह रहे थे।”

इस पर पेद्रो मरियम पर बरस पड़ा, “मुझे नसीहत दे रही है। अपनी मां को खा गई, तू मनहूस। अब मुझे मार डालना चाहती है क्या,” कहकर शराब ढूंढ़ने लगा। मरियम को रोना आ रहा था पर वह जानती थी कि पेद्रो उसे रोने नहीं देगा। जब कभी उसे दुख होता या चोट लगने पर दर्द से कराहने लगती तो पेद्रो उसका मुंह दबाकर रोने से रोकता। और जब तक वह ना हंसे, उसे गुदगुदी करता। इसलिए मरियम भागकर ऊपर अपने कमरे में गई और दरवाज़ा बंद कर दबी आवाज़ में रोने लगी।

पेद्रो ने शराब के लिए अलमारियां ढूंढी, जब नहीं मिली तो शराबख़ाने में गया। वहां पर कई नौजवान बैठे थे जो मरियम से विवाह करना चाहते थे। हर बार पेद्रो उनको दुत्कार कर गालियां देता था, आज उन्हें मौका मिला था। उन्होंने उसे शराब दी। “और एक, और एक” कहकर उसे नशे में धुत्त कर दिया। किसी ने पूछा कि कैसी और कहां है मरियम? पर वह उठकर घर जाने लगा। उसके पैर लड़खड़ा रहे थे, आंखें नशे से बंद सी हो रही थीं।

“चलो हम पहुंचा देते हैं आपको घर,” कहते हुए दो-चार युवक उठे और उसे पकड़कर समुद्र के किनारे ले गए। “वह देखो आपका घर” लाइट-हाउस को दिखाते हुए उन्होंने पेद्रो को वहां छोड़ा। पेद्रो पानी में से आगे बढ़ा। जिस चट्टान पर लाइट-हाउस खड़ा था, उससे टकराया और पानी में गिरा। तभी बड़ी सी लहर आई और पेद्रो बहकर समुद्र में गायब हो गया। इधर रो-रोकर मरियम सो गई थी।

सुबह जब जगी तब अपने पिता को ना पाकर उसे ढूंढ़ने निकल पड़ी। कहीं पर भी पेद्रो नहीं मिला। उस पर दया खाकर एक नौजवान ने उसे सब बातें बताईं। “क्या मतलब है ऐसे जीने का? यहां सब मुझसे मिलने वाले मोतियों के लिए मुझे ख़ुश रखना चाहते हैं। क्यों दिया ऐसा वरदान? मैं नहीं जीना चाहती,” कहते-कहते मरियम समुद्र में चलती गई, और समुद्र में गायब हो गई।

मरियम के जीवन के अंत से समुद्र विलाप करने लगा। उसके यानी समुद्र देवता के वरदान के कारण ही मरियम नहीं रही और दुखी हो वह लहरों में लीन हो गई। समुद्र को एक ओर दुख हुआ तो दूसरी ओर गांववालों पर भी गुस्सा आया। गुस्से और विलाप में वह लहरों को आसमान तक उछालने लगा। समुद्री तूफान आया। घर तबाह हो गए। कई लोग लहरों में समा गए। लोग घबराकर समुद्र से दूर टीले पर जा बैठे।

कई दिन गुज़र गए। समुद्री तूफ़ान शांत नहीं हो रहा। भूख और ठंड से सब तड़प रहे थे। तब लोगों ने गांव के बुजुर्ग गांव नायक से कहा, “कुछ उपाय बताइए वरना इस तरह तो सारा गांव नष्ट हो जाएगा।”

पादरी ने कहा, “मरियम समुद्र की बेटी थी। गांव के नौजवानों की मूर्खता से ये सब हुआ है। समुद्र देवता गांववालों पर गुस्सा हैं। उन्हें शांत करना होगा। पहले माफ़ी मांगो, फूल, नारियल चढ़ाओ।”

गांववाले गांव नायक के साथ नीचे उतरे। समुद्र देवता से माफ़ी मांगी, फूल और नारियल चढ़ाए। तीन दिन, तीन रात समुद्र देवता की प्रार्थना करते रहे। माफ़ी की याचना करते रहे। चौथे दिन समुद्र देवता शांत हुए। उनका विलाप तथा गुस्सा कम हुआ।

मछुआरों ने फिर कुछ दिन बाद अपने घर ठीक-ठाक करके समुद्र देवता को नारियत्र चढ़ाकर नाव पानी में डाली और मछली पकड़ने समुद्र में गए। वह दिन पूर्णमासी का था।

आज भी कभी-कभी ख़ासकर बारिश के महीनों में समुद्र को मरियम और उसके गाने की याद आती है तो वह विलाप करता है। उसमें बड़ी- बड़ी लहरें उठने लगती हैं। जब पूनम की सुबह नारियल चढ़ाकर उसे शांत किया जाता है, तभी मछुआरे नाव पानी में डालते हैं और रात में समुद्र किनारे मरियम की सुंदरता के गाने गाते हुए ‘ओ मारिया, ओ मारिया’ की धुन पर नाचते हैं। इस पूनम को यानी ‘रक्षाबंधन’ की पूनम को गोवा में ‘नारली पूनम’ कहते हैं।

(सुरेखा पाणंदीकर)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments